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Thursday 22 November 2012

कहना है बहुत






कहना है बहुत
कहा कुछ नहीं
फिर भी
कहते रहो तुम
सिर्फ सुनूँ मैं

दुनिया है हसीं
वक़्त है नहीं
तो जाओ
उधर देखो तुम
तुम्हे देखूं मैं

बरसे बदलियाँ
नयन न कभी
बरसाएं जल
हरे रहो तुम
सूख जाऊं मैं

मंजिल हो गगन
क़दमों में ज़मीन
हौसला लिए
आगे बढ़ो तुम
पीछे रहूँ मैं

वादों को कहो
ज़हन में कभी
कुलबुलाएं न
भूल जाना तुम
याद रखूँ मैं

(Picture courtesy Google)

Tuesday 6 November 2012

कुछ टूटा है






कहीं कुछ टूटा है
दर्द नहीं हुआ
आंसू नहीं गिरे
जैसे प्यार का दरिया
कुछ और सिमट गया
कहीं कोई सहम गया है
तूफ़ान नहीं आया
तबाही नहीं हुई
जैसे आंसू का समंदर
उफान से पहले
ठहर गया