------------- वो -------------------
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कौन था जो
अनकही सुनता था
सपने बुनता था
अपने चुनता था
क्या था जो
घुटन में सहलाता था
खुली आँख को सुलाता था
दर्द को बहलाता था
कैसा था जो
सपने सजाता था
अपने बनाता था
रूठे मनाता था
कोई था जो
बेचैन कुलबुलाता था
जबरन मुस्कुराता था
पास बुलाता था
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कौन था जो
अनकही सुनता था
सपने बुनता था
अपने चुनता था
क्या था जो
घुटन में सहलाता था
खुली आँख को सुलाता था
दर्द को बहलाता था
कैसा था जो
सपने सजाता था
अपने बनाता था
रूठे मनाता था
कोई था जो
बेचैन कुलबुलाता था
जबरन मुस्कुराता था
पास बुलाता था